गर्भावस्था के नौ महीने में कैसे बढ़ता है शिशु और उसकी कैसे शारीरिक निर्माण होता है। नौ महीने में उसके कैसे शरीर में बदलाव आते है।
गर्भावस्था पहला महीना
- शिशु एक पानी भरी थैली (एनीटिक फ्लूट) में पनप रहा है।
- शिशु मात्र 0.6 से.मी. लंबा है-अथ की अटी अंगुली
के नाखून के बराबर - हृदय एवं फेफड़े भी बनने लगे हैं।
- कान, नाक एवं आंख की जगह छोटे-छोटे बिंदु दिखाई दे रहे है।
- दिमाग एवं तंत्रिकाएं बनने लगी हैं।
गर्भावस्था दूसरा महीना
- श्रवण एवं दृष्टि इंद्रियां विकास के बहुत ही अहम मुकाम
पर हैं। पलकें बंद हैं। - चेहरे का नाक-नक्शा बन रहा है।
- दिमाग का विकास दूसरे अवयवों के मुकाबले त्वरित होने
से शिशु का सिर बड़ा है। - नाभिनाल बन गई है।
- हाथ-पैर की अंगुलियां एवं नाखून बन रहे हैं।
- आमाशय, यकृत, गुर्दे का विकास हो रहा है।
शिशु की लंबाई करीब 3 से.मी. और वजन 1 ग्राम है। - गर्भाशय पेट में मुलायम गाँठ की तरह महसूस हो सकता है।
गर्भवती क्या करे?
- प्रसव पूर्व की चिकित्सा जांच नियम से कराएं।
- चिकित्सा परिणामों की जानकारी रखें, जैसे रक्त-ग्रुप, रक्तचाप, खून की स्थिति, वजन और मूत्र जांच
- साबुत धान, प्रोटीन्स, फल एवं सब्जियों से भरपूर अच्छा आहार लें।
- व्यायाम 15 मिनट, चलना तैरना या साइकिल चलाना चाहिए।
- यदि हो सके तो सवेरे प्रसव पूर्व तालीम की क्लास में जाएं।
गर्भावस्था तीसरा महीना
- आकार बहुत छोटा होने से शिशु की हलचल महसूस नहीं की जा सकती।
- आंखें बन चुकी हैं, लेकिन पलकें अभी भी बंद हैं।
- बाजू, हाथ, अंगुलियां, पैर, पंजे तथा पैरों की अंगुलियां और नाखून इस महीने में विकसित होंगे।
- शिशु के स्वर रज्जू (वोकल कॉर्ड्स) बन चुके हैं।
- शिशु सर ऊपर उठा सकता है।
- यदि गर्भाशय के अंदर झांका जाए (फीटोस्कॉपी के जरिए) तो बाहरी जननांग (लिंग) बनते हुए दिख सकते हैं।
- नाभिनाल द्वारा रक्त शिशु तक पहुंच रहा है।
- इस महीने में शिशु का वजन करीब 30 ग्राम और लंबाई 7.5 से.मी. है।
गर्भवती क्या करे
- प्रसूति पूर्व की जांच कराएं।
- साबुत धान, प्रोटीन, फल-सब्जियां ज्यादा लें।
- पूरे दिन में 6 से 8 गिलास पानी पिएं।
- डॉक्टरी सलाह पर ही दवाइयां लें।
- रोजाना नियम से व्यायाम करना आवश्यक है।
गर्भावस्था चौथा महीना
- शिशु की लंबाई एवं वजन में तेजी से वृद्धि हो रही है।
- बाल उगने लगे हैं और सर पर बाल दिखने लगे हैं।
- भौहिं और पलक के बाल उगने लगे हैं।
- चमड़ी वसायुक्त होने लगी है।
- इस महीने शिशु की हलचल महसूस कर सकती हैं।
- शिशु की लंबाई 18 से.मी. एवं वजन 100 ग्राम है।
गर्भवती क्या करे?
- इस महीने भी प्रसव पूर्व जांच कराएं।
- फल एवं सब्जियों से भरपूर संतुलित आहार खाएं।
- प्रसव पूर्व के विटामिन एवं लौहतत्व या आयरन की दवाई जरूर लें।
- नीचे लेटकर दोनों पैरों को ऊपर करके कम से कम आधा घंटा प्रतिदिन लेटें।
गर्भावस्था पांचवां महीना
- शिशु कुछ समय गतिशील होगा तो कुछ समय शांत।
- एक सफेद चिकना स्राव शिशु की त्वचा की एम्नीओटिक पानी से रक्षा करता है।
- उसकी त्वचा पर झुर्रियां हैं एवं त्वचा का रंग लाल है।
- त्वचा ज्यादा वसायुक्त बनती है।
- इस महीने शिशु की लंबाई करीब 25-30 से.मी. एवं वजन करीब 200-450 ग्राम है।
गर्भवती क्या करे?
- दूध एवं दूध से बने पदार्थों का सेवन अधिक करें।
- रोज 6-8 गिलास पानी या और तरल पदार्थों का सेवन करें।
- स्तन को अच्छा आधार देने वाली चोली का इस्तेमाल करें।
- शिशु के आगमन की तैयारी कर रहे दंपतियों के लिए अभ्यास कक्षाएं कहां होती हैं, इसकी तलाश करें।
गर्भावस्था छठा महीना
- उसकी त्वचा अभी झुर्री भरी एवं लाल है।
- आंखों का विकास हो चुका है।
- पलकें खुल सकती हैं। बंद हो सकती हैं।
- शिशु रो सकता है, लात मार सकता है और उसे हिचकी आ सकती है।
- शिशु इस माह करीब 27-35 से.मी. लंबा है एवं उसका वजन करीब 550-800 ग्राम है।
गर्भवती क्या करे?
- भले ही बहुत स्वस्थ महसूस कर रही हों, प्रसव पूर्व जांच निश्चित समय पर जरूर कराएं।
- बाईं करवट लेटकर आवश्यक आराम करें।
गर्भावस्था सातवां महीना
- यदि कोई गर्भवती के पेट पर कान रखे तो आपके शिशु की धड़कन उसे सुनाई दे सकती है।
- अब से जन्म तक लौहतत्व का संचय होता है।
- शिशु अंगूठा चूसता है।
- इस महीने शिशु की लंबाई 32-42 से. मी. है एवं वजन करीब 1100-1350 ग्राम होगा।
गर्भवती क्या करे?
- प्रसव पूर्व चिकित्सा इस महीने करा लें।
- प्रसव से पहले कब तक काम पर जाना है इस पर विचा करें।
- यदि अभी तक प्रसव पूर्व के अभ्यास की कक्षाएं शुरू नहीं की हैं तो अब तरंत करें।
- जिस अस्पताल में आप प्रसव के लिए जाएंगी वहां का प्रसूति कक्ष देख लें।
- पहले 6 सप्ताह में जिन वस्तुओं की आवश्यकता हो सकती है, उसकी सूची बनाएं।
- लौहतत्व से भरपूर, अगर मांसाहारी हैं तो कलेजी, अंडा, मांस, संतुलित आहार लें।
- 6 से 8 गिलास पानी हर रोज पिएं।
- शिथिलन (रिलेक्सेशन) एवं श्वसन व्यायाम हर रोज करें।
- पति के साथ खासतौर से समय बिताएं
गर्भावस्था आठवां महीना
- शिशु की आंखें खुली हैं।
- जागने-सोने की खास आदत के साथ शिशु सक्रिय है।
- इस महीने शिशु का वजन करीब 2000-2300 ग्राम है और लंबाई 41-45 से.मी. है।
गर्भवती क्या करे?
- हर 15 दिन में प्रसव पूर्व की जांच करवाएं।
- खून की कमी की जांच के लिए एक और परीक्षण करवाएं।
- थोड़ा-थोड़ा करके कई बार संतुलित आहार लें।
- घूमना एवं व्यायाम जारी रखें।
- प्रसव पूर्व की कक्षा में सीखे व्यायाम का घर पर अभ्यास करें।
गर्भावस्था नौवां महीना
- शिशु की आंखें गहरे कबूतरी रंग की हैं। जन्म पश्चात रंग बदल सकता है।
- शिशु का सिर नीचे, पैर ऊपर होता है और इसी स्थिति में वह प्रसव तक रहता है।
- शिशु ज्यादा शांत रहता है।
- इस महीने शिशु की लंबाई 50 से.मी. है एवं वजन 3200-3400 ग्राम है।
गर्भवती क्या करे?
- प्रसव तक हर सप्ताह परीक्षण करवाएं।
- संतुलित आहार कम मात्रा में अनेक बार लें।
- व्यायाम एवं प्रसव समय में करने वाली क्रियाओं का अभ्यास चालू रखें।
- प्रवास पर या लंबी दूरी तक घर से बाहर न जाएं।
- गद्दे एवं कुर्सी पर मोमजामा बिछाए रखें। अचानक पान की थैली फटकर पानी बह सकता है।
- प्रसूति के समय आप, जिनसे संपर्क करना चाहें उनके टेलीफोन नंबर की सूची तैयार रखें।
- प्रसव के समय अस्पताल ले जाने का बैग तैयार रखें।
- अस्पताल से घर लौटने के समय पहनने के मां और शिशु के कपड़े तैयार रखें।
शिशुओं में होने वाली बीमारियां व उपचार
- नवजात शिशु में पीलिया) समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में या फिर नवजात शिशु का लीवर अपरिपक्व होने के कारण पीलिया हो जाता है। उपचार के तौर पर शितु को आंखों में पट्टी बांधकर दो-तीन दिनों के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों में रखा जाता है।
- कब्ज ) शिशु को काज होने पर चीनी का घोल बनाकर दिन में 2-3 बार पिलाना चाहिए।
- खांसी) धनिया और मिश्रीको पीसकर चावल के चोवन के साथ बच्चों को पिलाएं।
- ज्वर मां के दूध में वंशलोचन मिलाकर पिलाने से बच्चा ठीक होता है।
- दस्त ) सुहारे की गुठली पीसकर चटाने से बच्चे को आराम मिलता है।
- अपच) हींग को पानी में घोलकर नाभि के चारों ओर लेप करने से बच्चे को राहत मिलती है और नागरबेल के पान के रस में ठहद मिलाकर बच्चे को चटाने से आफरा, अपच तुरंत ही दूर हो जाती है।
- दांत निकलते समय ) शहद में सुहागा अच्छी तरह मिलाकर दिन में दो बार मसूड़ों पर रगड़ने से दांत आसानी से निकलते हैं।
- खूनी दस्त ) दही का पानी मिश्री मिलाकर पिलाएं।
- सूखा रोग ) आंवला और जीरा को समान मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाएं और इसका एक चौथाई चम्मच मात्रा शहद में मिलाकर नियमित रूप से सुबह-शाम चटाएं।
- हिचकी ” कुटकी के चूर्ण को शहद में मिलाकर बच्चों को चटाएं।
- उल्टी)) सोना गेरू को महीन पीसकर शहद में मिलाकर चटाएं।
- बच्चों का रोजा और डरना ) त्रिफला चूर्ण और पीपल (छोटी पीपल) के चूर्ण को शहद में मिलाएं और बच्चों को चटाएं।
- पेट के कीड़े) प्याज का रस पिलाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
- मिट्टी खाने वाले छोटे बच्चे) पका केला शहद में मिलाकर खिलाना चाहिए।
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