प्रकृति ने हमें स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और आयुष्मान रहने के लिए अनेक प्रकार के पौष्टिक फल, फूल, मेवे, तरकारियां, जड़ी-बूटियां, मसाले, शहद और अन्य खाद्यान्न दिए हैं। ऐसा ही एक संजीवनी का बूटा है गेहूं का ज्वारा। इसका वानस्पतिक नाम ‘ट्रिटिकम वेस्टिकम है। यह वास्तव में अंकुरित गेहूं है। इसे गेहूं का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा। गेहूं का ज्वारा एक सजीव, सुपाच्या, पैष्टिक और संपूर्ण आहार है। इसमें भरपूर क्लोरोफिल, किण्वक (एंजाइम्स), अमोइनो एसिड्स, शर्करा, वसा, विटामिन और खनिज होते हैं। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश का पहला उत्पाद है अतः इसमें सबसे ज्यादा सूर्य की ऊर्जा होती है और भरपूर ऑक्सीजन भी। पश्चिमी देशों में गेहूं के ज्वारों से उपचार की पद्धति डॉ. एन. विग्मोर ने प्रारंभ की थी। बचपन में उनकी दादी प्रथम विश्व युद्ध में घायल हुए जवानों का उपचार जड़ी-बूटियों, पेड़-पौधों और विभिन्न प्रकार की घासों से किया करती थी।
गेहूं के ज्वारों के रस के औषधीय उपयोग
- गेहूं के ज्वारों में विटामिन बी-17 या लेट्रियल और सेलेनियम, दोनों ही शक्तिशाली कैंसररोधी हैं। क्लोरोफिल और सेलेनियम शरीर की रक्षा प्रणाली को शक्तिशाली बनाते हैं। गेहूं का ज्वारा भी रक्त के समान हल्का क्षारीय द्रव्य है। कैंसर अम्लीय माध्यम में ही फलता-फूलता।
- गेहूं के ज्वारे में विटा बी-12 समेत 13 विटामिन, कई खनिज जैसे सेलेनियम और 20 अमाइनो एसिड्स होते हैं। इसमें एंटीऑक्साडेंट किण्वक सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज और अन्य 30 किण्वक भी होते हैं। एस ओ डी सबसे खतरनाक फ्री-रेडिकल रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पिसीज को हाइड्रोजन परऑक्साइड (जिसमें कैंसर कोशिका का सफाया करने के लिए एक अतिरिक्त ऑक्सीजन का अणु होता है) और ऑक्सीजन के अणु में बदल देता है।
- डॉ. लिविंग्स्टन ने पता लगाया था कि कैंसर कोशिका कोरियोनिक गोनेडोट्रोफिन से मिलता-जुलता हार्मोन बनाती हैं। गेहूं के ज्वारे को काटने के 4 घंटे बाद उसमें ए बी ए की मात्रा 40 गुना ज्यादा होती है। अतः उनके मतानुसार ज्वारे के रस को थोड़ा-सा तुरंत और बचा हुआ 4 घंटे बाद पीना चाहिए।
- गेहूं के ज्वारे में अन्य हरी तरकारियों की तरह भरपूर ऑक्सीजन होती है। मस्तिष्क और संपूर्ण शरीर ऊर्जावान तथा स्वस्थ रखने के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है।
- डॉ. बरनार्ड जेन्सन के अनुसार गेहूं के ज्वारे का रस कुछ ही मिनटों में पच जाता है और इसके पाचन में बहुत कम ऊर्जा खर्च होती है।
- यह कीटाणुरोधी है, उन्हें नष्ट करता है और उनके विकास को बाधित करता है।
- यह शरीर से हानिकारक पदार्थों (टॉक्सिन्स), भारी धातुओं और शरीर में जमा दवाओं के अवशेष का विसर्जन करता है। यदि इसका सेवन 7-8 महीने तक किया जाए तो मुहांसों और उससे बने दाग, धब्बे और झाइयों से मुक्ति मिल सकती है।
- यह त्वचा के लिए प्राकृतिक साबुन का कार्य करता है और शरीर को दुर्गंध रहित रखता है।
- यह दांतों को सड़न से बचाता है।
- यदि 5 मिनट तक गेहूं के ज्वारे का रस मुंह में रखें तो दांत का दर्द ठीक करता है।
- इसके गरारे करने से गले की खराश ठीक हो जाती है। गेहूं के ज्वारे का रस नियमित पीने से एग्जीमा और सोरायसिस ठीक हो जाते हैं।
- ज्वारे का रस पीने से बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं।
- ज्वारे का रस पीने से शरीर स्वस्थ, ऊर्जावान, सहनशील, आध्यात्मिक और प्रसन्नचित बना रहता है।
- यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
- यह समस्त रक्त संबंधी रोगों के लिए रामबाण औषधि है।
- ज्वारे के रस का एनीमा लेने से आंतों और पेट के अंगों का शोधन होता है। यह कब्जी ठीक करता है।
- यह उच्च रक्तचाप कम करता है और केशिकाओं का विस्तारण करता है। यह स्थूलता या पोटापा कम करता है, क्योंकि यह भूख कम करता है, बुनियादी चयापचय दर और शरीर में रक्त के संचार को बढ़ाता है।
गेहूं के जवारे का जूस कैसे बनाते हैं/गेहूं के जवारे उगाने की विधि
- हमेशा जैविक बीज ही काम में लें, ताकि आपको हमेशा मधुर व उत्कृष्ट रस प्राप्त हो, जो विटामिन और खनिज से भरपूर हो। रात को सोते समय लगभग 100 ग्राम गेहूं एक जग में भिगो कर रख दें।
- सभी गमलों के छेद पतले पत्थर के टुकड़े से ढंक दें।मिट्टी और खाद को अच्छी तरह मिलाएं। गमलों में मिट्टी की डेढ़-दो इंच मोटी परत बिछा दें और पानी छिड़क दें। ध्यान रहे मिट्टी में रासायनिक खाद या कीटनाशक के अवशेष न हों। हमेशा जैविक खाद का ही उपयोग करें। पहले गमले पर रविवार, दूसरे पर सोमवार, इस प्रकार सातों गमलों पर सातों दिनों के नाम लिख दें।
- अगले दिन गेहुंओं को धोकर निथार लें। मान लो आज रविवार हो तो उस गमले में, जिस पर आपने रविवार लिखा था, गेहूं एक परत के रूप में बिछा दें। गेहुंओं के ऊपर थोड़ी मिट्टी डाल दें और पानी से सींच दें। गमले को किसी छायादार स्थान जैसे बरामदे या खिड़की के पास रख दें, जहां पर्याप्त हवा और प्रकाश आता ही पर धूप की सीधी किरणें गमलों पर नहीं पड़ती हो। अगले दिन सोमवार वाले गमले में गेहूं बो दीजिए और इस तरह रोज एक गमले में गेहूं बोते रहें
- गमलों में रोजाना दो बार पानी दें ताकि मिट्टी नम और गीली बनी रहे। शुरू के दो-तीन दिन गमलों को गीले अखबार से भी ढंक सकते हैं। जब गेहूं के ज्वारे एक इंच से बड़े हो जाएं तो एक बार ही पानी देना पर्याप्त रहता है। पानी देने के लिए स्प्रे बोतल का प्रयोग करें। गर्मी के मौसम में ज्यादा पानी की आवश्यकता रहती है।
- सात दिन बाद 5-6 पत्तियों वाला 6-8 इंच लंबा ज्वारा निकल आएगा। इस ज्वारे को जड़ सहित उखाड़ लें और पानी से अच्छी तरह धो लीजिए। इस तरह आप रोज एक गमले से ज्वारे तोड़ते जाइए और रोज एक गमले में ज्वारे बोते जाइए ताकि आपको निरंतर ज्वारे मिलते रहें।
- अब धुले हुए ज्वारों की जड़ काट कर अलग कर दें तथा मिक्सी के छोटे जार में थोड़ा पानी डालकर पीस लें और चलनी से गिलास में छानकर प्रयोग करें। ज्वारों के बचे हुए गूदे को त्वचा पर निखार के लिए मल सकते हैं। हाथ से घुमाने वाले ज्यूसर से भी ज्यूस निकाल सकते हैं।
गेहूं के जवारे का रस कितना पीना चाहिए
ज्वारे का रस सामान्यतः 60-120 एमएल प्रतिदिन या प्रति दूसरे दिन खाली पेट सेवन करना चाहिए। यदि आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो 30-60 एमएल रस दिन में तीन-चार बार तकले सकते हैं। इसे आप सप्ताह में 5 दिन सेवन करें। शुरू में रस पीने से उबकाई-सी आए तो कम मात्रा से शुरू करें और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएं।
ज्वारे के रस में फलों और सब्जियों के रस जैसे सेब, अन्नानास आदि का रस मिलाया जा सकता है। हां इसे कभी भी खट्टे रसों जैसे नीबू, संतरा आदि के रस में नहीं मिलाएं, क्योंकि खटाई ज्वारे के रस में विद्यमान एंजाइम्स को निष्क्रिय कर देती है। इसमें नमक, चीनी या कोई अन्य मसाला भी नहीं मिलाना चाहिए। ज्वारे के रस की 120 एमएल मात्रा बड़ी उपयुक्त मात्रा है और एक सप्ताह में इसके परिणाम दिखने लगते हैं। डॉ.एन. विग्मोर ज्वारे के रस के साथ अपक्व आहार लेने की सलाह भी देती थीं। गेहूं के ज्वारे चबाने से गले की खारिश और मुंह की दुर्गंध दूर होती है। इसके रस के गरारे करने से दांत और मसूड़ों के इन्फेक्शन में लाभ मिलता है। त्वचा पर ज्वारे का रस लगाने से त्वचा का ढीलापन कम होता है और त्वचा में चमक आती है।
गेहूं के ज्वारों में विद्यमान अमाइनो एसिड और उनके कार्य
हमारे शरीर के लिए 16 आवश्यक तत्व होते हैं, जिनमें 13 अमाइनो एसिड होते हैं। इनमें 8 अमाइनों एसिड आवश्यक होते हैं। सभी अमाइनो एसिड्स के कार्य संलग्न सारणी में दर्शाए गए हैं।
अमाइनो एसिड | कार्य |
लाईसीन | आयुवर्द्धक |
ल्यूसिन | ऊर्जा और नाड़ी तंत्र को संवेदनशील बनाए रखना |
ट्रिप्टोफेन | त्वचा और केश का विकास |
फिनाइलएलेनीन | थायरॉइड हार्मोन के निर्माण में सहायक |
थियोनीन | पाचन |
मीथियोनीन | यकृत और वृक्क का शोधन |
वेलीन | मस्तिष्क और मांसपेशियों में परस्पर सहयोग और सामंजस्य बनाए रखना |
एलेनीन | रक्त के निर्माण में सहायक |
आरजिनीन | वीर्यवर्द्धक |
ग्लूटेमिक एसिड | मस्तिष्क को जागृत रखना |
एस्पार्टिक एसिड | ऊर्जा का उत्पादन |
ग्लाइसीन | ऊर्जा का उत्पादन |
प्रोलीन ग्लूटेमिक एसिड | अवशोषण |
सेरीन | मस्तिष्क को ऊर्जावान बनाए रखना |
आइसोल्यूसीन | भ्रूण का विकास |
हिस्टीडीन | श्रवण और नाड़ी तंत्र की विभिन्न क्रियाओं में सहायक |
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