लैला अली का नाम भी अपने बॉक्सर पिता मुहम्मद अली उर्फ कैशियस क्ले की भांति बॉक्सिंग में ही अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ। अपने पिता की ही भांति लैला अली ने भी अपनी अपराजेय छवि बनाई। लैला अली ने 19 मुकाबलों में 19 जीते, हारा कोई नहीं और 15 बार तो विरोधियों को ‘नॉक आउट’ करके परास्त किया। सच तो यह है कि यह अपने महान् पिता से भी एक कदम बढ़ कर साबित हुई।
कौन है लैला अली ? और उनका जन्म
लैला अली का जन्म 30 दिसंबर, 1977 को हुआ। महान् मुहम्मद अली (बॉक्सर) इनके पिता थे। पिता को सर्वकालिक महान् मुक्केबाज का दर्जा हासिल
था। लैला की परवरिश पिता की ख्याति के किस्सों के साथ ही हुई थी। इस कारण आगे चल कर जब ‘पर्सनल ट्रेनर’ की भूमिका से इन्होंने स्वयं ‘महिला मुक्के
बाजी’ की दुनिया में उतरने का फैसला किया तो सभी को चौंका दिया, क्योंकि इस बारे में कोई भी इनसे यह उम्मीद नहीं लगा रहा था।
बॉक्सिंग करियर
1999 में 22 वर्ष की उम्र में इन्होंने यह घोषणा की थी। 8 अक्टूबर को घोषणा वर्ष (1999) में इन्होंने प्रथम मुकाबला ‘अप्रिल फाउलर’ के साथ किया था। अपने प्रशंसकों के मध्य लैला ने इस स्पर्धा को फर्स्ट राउंड में ही जीत लिया और विरोधी को नॉक आउट (अचेत कहने वाला प्रहार किया जाना) कर दिया। बेशक जीत मुग्ध करने वाली थी। लेकिन क्या भविष्य में भी यही सिलसिला कायम रहेगा? यह विचारणीय प्रश्न था। लेकिन लैला ने अगली 8 जीत भी
लगातार प्राप्त की।
तब इनके प्रशंसकों को इंतजार रहा कि पूर्व (पुरुष) विश्व चैंपियन जो. फ्रेजियर की पुत्री जैकी फ्रेजियर तथा जॉर्ज फोरमैन की पुत्री फरीदा फोरमैन के साथ इनका मुकाबला होने पर क्या परिणाम निकलता है? निश्चय ही यह विचार ही काफी उत्तेजनापूर्ण था कि तीन पूर्व विश्व चैंपियनों की पुत्रियों की विश्व के महान व्यक्तित्व परस्पर स्पर्धा हो।
8 जून, 2011 को अंततः अली और फ्रेजियर (पुत्रियां) की स्पर्धा का आयोजन तय हुआ। दो महिलाओं के मध्य की स्पर्धा का दर्शक मूल्य सर्वाधिक था, जो अब तक के इतिहास में कभी भी देखने को या सुनने को नहीं मिला था। इस स्पर्धा के दर्शकों की संख्या ने सभी कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। इस स्पर्धा का नाम अली/फ्रेजियर IV रखा गया, जो इनके पिताओं की पूर्व तीन भिड़तों की झलक भी प्रस्तुत कर रहा था। यह स्पर्धा विश्व बॉक्सिंग की सर्वाधिक प्रतिष्ठित स्पर्धा बन कर उभरी। आठ राउंड में श्रेष्ठता के आधार पर लैला अली ने जीत प्राप्त की। लेकिन इस स्पर्धा के लगभग एक वर्ष बाद (364 दिन बाद) विलियम्स के विरुद्ध उतरी और छह राउंड के पश्चात् जीत हासिल की।
इस प्रकार ‘वीमेन इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन’ की वर्ल्ड सुपर मिडिलवेट चैंपियन बन गईं। 17 अगस्त, 2002 में ही इन्होंने अपने खिताब की रक्षा करते हुए सुज्जेती टेलर को नॉक आउट कर दिया। फिर 9 नवंबर, 2002 को लॉस वेसान में नॉक आउट आधार पर ‘वेलेरी महफूड’ को हरा दिया। वेलेरी भी विश्व चैंपियन रह चुकी थी। 21 जून, 2003 को पुनः खेले गए मुकाबले में भी लैला अली ने ‘महफूड’ को परास्त कर दिया। छह राउंड में ही उसे नॉक आउट कर दिया। 30 जून को घोषणा की गई कि लैला का अगला मुकाबला 23 अगस्त, 2003 को क्रिस्टी मार्टिन के साथ होगा। लैला ने मार्टिन से चार राउंड के मुकाबले में नॉक आउट आधार पर जीत हासिल की।
2004 में लैला अली ने ग्वेनडोलाइन ओ’नील से मुकाबला करना था, जो गुयाना की थीं, लेकिन यह मुकाबला स्थगित कर दिया गया। 17 जुलाई को इसी वर्ष लैला ने अपने खिताब की रक्षा करते हुए निक्की एलियन को चार राउंड में हरा दिया। स्पर्धा रोके जाने से पूर्व लैला ने निक्की को प्रत्येक राउंड में जमीन सुंघा दी थी। 13 दिन बाद इन्होंने मोनिका नूनेज को भी नौ राउंड में परास्त कर दिया।
24 सितंबर, 2004 को लैला ने आई.डब्ल्यू.बी.एफ. का लाइट हैवीवेट टाइटल ओ’नील को हरा कर प्राप्त किया। तीन राउंड में नॉक आउट करके यह जीत अटलांय जार्जिया में प्राप्त की गई थी। अतः 19 जीत, हार और 15 नॉक आउट जीत द्वारा लैला अली ने साबित किया कि वह अपराजेय पिता की अपराजेय पुत्री हैं। बॉक्सिंग जगत में इन्हें सदैव सम्मान के साथ याद किया जाता रहेगा।
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